उपन्यास >> पथ का पाप पथ का पापरांगेय राघव
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हिन्दी के जाने-माने लेखक रांगेय राघव की एक कालजयी रचना...
हिन्दी के जाने-माने लेखक रांगेय राघव का उपन्यास ‘पथ का पाप’ एक कालजयी रचना है। अपनी अन्य कृतियों की तरह अपने इस उपन्यास के लिए भी उन्होंने ग्रामीण परिवेश को ही आधार बनाया है।
डॉ. रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने कहानी, कविता, नाटक आदि विभिन्न विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। मूल रूप से दक्षिण भारतीय होने के बावजूद हिन्दी पर उनकी पकड़ सराहनीय थी। अपने उपन्यास ‘पथ का पाप’ में उन्होंने स्वाधीन भारत के ग्रामीण जीवन में आये बदलाव के साथ-साथ धार्मिक रूढ़ियों का बड़ा ही मार्मिक और यथार्थ चित्रण किया है।
डॉ. रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने कहानी, कविता, नाटक आदि विभिन्न विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। मूल रूप से दक्षिण भारतीय होने के बावजूद हिन्दी पर उनकी पकड़ सराहनीय थी। अपने उपन्यास ‘पथ का पाप’ में उन्होंने स्वाधीन भारत के ग्रामीण जीवन में आये बदलाव के साथ-साथ धार्मिक रूढ़ियों का बड़ा ही मार्मिक और यथार्थ चित्रण किया है।
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